परिवार के माता पिता की इच्छा होती है कि बेटा/बेटी की सरकारी नौकरी लग जाएं तो जिंदगी आराम से कटेगी। लेकिन अंकुर गुप्ता के साथ ऐसा नहीं था। उन्हें 28 साल बाद जाकर सरकारी नौकरी का अपॉइंटमेंट लेटर मिला।
अंकुर गुप्ता ने 1995 में डाक सहायक के लिए आवेदन किया था। जिसमें उन्हें सफलता भी प्राप्त हुई थी और उन्होंने परीक्षा पास भी कर ली थी। लेकिन नौकरी 2023 तक नही मिली थी। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद उन्हें सरकारी नौकरी नसीब हुई।
अक्सर सरकारी नौकरी की परीक्षाओं को पांच वर्षीय योजना से जोड़कर मज़ाक उड़ाया जाता है। इसमें परीक्षा को लेकर उसमें हो रही धांधली और देरी का मखौल उड़ाया जाता है। कुछ ही ऐसी संस्था है जहां परीक्षा अपने नियमित समय के अंतराल में होती हैं और उनके ऊपर किसी भी तरह का संदेह भी उत्पन्न नही होता जैसे की UPSC।
कुछ ऐसे परीक्षा आयोग हैं जो बिना पेपर लीक के परीक्षा करवा ही नहीं पाते। कभी पेपर लीक हो जाता है और कभी परीक्षार्थी की जगह कोई और ही पेपर सॉल्व कर जाता है। मामला संज्ञान में आता है और ये कोर्ट के चक्कर में फंस जाता है। विधार्थी का जीवन भी अभिमन्यु की भांति परीक्षा रूपी चक्रव्यूह में फंस जाता है।
तो चलिए इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि 1995 में दिए गए पेपर का, अपॉइंटमेंट लेटर 2023 में कैसे मिला।
जानिए पूरा मामला
अंकुर गुप्ता ने 1995 डाक सहायक ( Postal Assistant) के लिए आवेदन किया था। डाक सहायक की मेरिट में भी पास हो गया था। इसके बाद उन्हें ट्रेनिंग भी दी गई। लेकिन ट्रेनिंग के बाद उन्हें मेरिट लिस्ट से बाहर कर दिया गया।
डाक विभाग का कहना था कि अंकुर ने 12वी Vocational Course यानि व्यवसायिक स्ट्रीम से की है। इसीलिए उन्हें नौकरी नहीं दी जा सकती। उसके बाद वह कुछ अन्य कैंडिडेट के साथ CAT (CENTRAL ADMINISTRATIVE TRIBUNAL) के पास गए। CAT परीक्षा से जुड़े मामलों को सुनने और फैसला सुनाने की निचली अदालत है। 1999 में CAT ने अंकुर के पक्ष में फैसला सुनाया।
Vocational Course क्या होता है?
Vocational Course (व्यवसायिक स्ट्रीम) वह कोर्स है जिसमें छात्र अपनी पसंद अनुसार पढ़ाई फील्ड को चुनते हैं। इसमें छात्र पढ़कर डिप्लोमा प्राप्त कर सकते हैं। इसे इंटरमीडिएट यानी 12वी के समान ही दर्जा दिया जाता है। इसको करके आप कॉलेज में भी एडमिशन प्राप्त कर सकते हैं।
Vocational Course छात्र नई स्किल सीखने और job पाने के लिए करते हैं। इस कोर्स में कई अलग अलग तरह की फील्ड है जैसे कि कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, फॉरेन लैंग्वेज। इसके बाद आप डिप्लोमा से नौकरी भी प्राप्त कर सकते हैं।
हाईकोर्ट में क्या हुआ?
CAT के आदेशों को डाक विभाग ने नकार दिया। साल 2000 में, डाक विभाग ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती दी। 17 साल बाद, हाईकोर्ट में डाक विभाग की याचिका को रद्द कर दिया। इसके बाद भी, डाक विभाग ने हार नहीं मानी। उन्होंने फिर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिव्यू पिटीशन डाल दी। 2021 में हाईकोर्ट ने इस पुनर्विचार याचिका को फिर से रद्द कर दिया।
MUST READ: Youtuber पर लगा 17 करोड़ का जुर्माना, सेबी ने की करवाई!
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा!
डाक विभाग अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। मामले की सुनवाई करने की बेंच बैठी। जिसमे जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस बेला त्रिवेदी थीं। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति में उम्मीदवार Fundamental Right (मूलभूत अधिकार) की बात नही कर सकता।
बेंच ने कहा कि उम्मीदवार के पास मेरिट लिस्ट में नाम आने के बाद भी, नियुक्ति पर पूर्ण दावा नहीं कर सकता। उसके पास सीमित अधिकार है। कोर्ट ने आगे कहा कि यदि उम्मीदवार को प्रारंभिक चरण में खारिज नहीं किया जाता और आगे चयन प्रक्रिया में भेज दिया जाता है,तो इससे कैंडिडेट को नियुक्ति पाने के लिए ठोस आधार नही कह सकते।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि डाक विभाग ने अंकुर गुप्ता को योग्य माना है और उसे आगे चयन प्रकिया में भी भाग लेने दिया। उससे इंटरव्यू भी लिया गया। उसे मेरिट लिस्ट में भी शामिल किया गया। उसके बाद, 1996 में उसे कुछ दिनों तक ट्रेनिंग में भेजा गया।
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अनुच्छेद 142 के तहत, यह निर्देश दिया कि अंकुर गुप्ता को एक महीने के अंदर डाक सहायक के पद पर नियुक्त किया जाए। कोर्ट ने कहा कि अगर डाक सहायक का पद खाली नहीं है, तो उनके लिए अतिरिक्त पद सृजित किया जाए। कोर्ट ने माना है कि प्रतिवादी अंकुर के साथ भेदभाव हुआ है और उन्हें चयन होने से रोका गया है। कोर्ट ने ये भी कहा है कि अंकुर बकाया वेतन का हकदार नहीं होगा लेकिन वरिष्ठता 1995 से तय होगी।
इस फैसले के बाद अंकुर गुप्ता को 23 साल बाद सरकारी नौकरी मिली। आपको यह लेख कैसा लगा कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Must Read: बिग बॉस OTT 2 विनर एलविश यादव ने मांगी 1 करोड़ की रंगदारी
1 thought on “सरकारी नौकरी मिली, लेकिन 28 साल बाद!! ”